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New Delhi: पीयूष गोयल ने क्यों उठाए भारतीय स्टार्टअप्स पर सवाल? बोले – 5 मिनट की डिलीवरी नहीं, 50 साल की टेक्नोलॉजी चाहिए भारत को!”

पीयूष गोयल ने क्यों उठाए भारतीय स्टार्टअप्स पर सवाल? बोले – 5 मिनट की डिलीवरी नहीं, 50 साल की टेक्नोलॉजी चाहिए भारत को!”

New Delhi: भारत में स्टार्टअप्स की बाढ़ आई हुई है, लेकिन उनके विजन और दिशा को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ‘स्टार्टअप महाकुंभ 2025’ के मंच से वही सवाल पूछा, जो देश का तकनीकी भविष्य तय कर सकता है: *”क्या भारत गूगल, यूट्यूब, टेस्ला या स्पेसएक्स जैसी कंपनियों की टक्कर देने वाले स्टार्टअप्स बना रहा है?”

पीयूष गोयल ने भारत के स्टार्टअप कल्चर में बढ़ती “5 मिनट में डिलीवरी” की होड़ को “बीमारी” करार दिया और कहा कि स्टार्टअप्स को सिर्फ किराना, खाना और दवा की रफ्तार से बाहर निकलकर टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के असली क्षेत्र में उतरना चाहिए।

तीन साल पुरानी कंपनी, 1.5 लाख लोगों की आजीविका

आदित पालीचा ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि जेप्टो नामक कंपनी(A company called Zepto), जो 3.5 साल पहले अस्तित्व में नहीं थी, आज लगभग 1.5 लाख लोगों को रोजगार देती है। इसके अलावा, कंपनी हर साल सरकार को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक कर का भुगतान कर रही है। ये आंकड़े सिर्फ एक कंपनी के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि भारतीय युवाओं और उद्यमशीलता में मौजूद ऊर्जा और ताकत के प्रतीक हैं।

पलीचा ने पूछा, एआई में पिछड़ने का असली कारण क्या है?

अपनी बात को और गहराई से जोड़ते हुए आदित ने कहा, “भारत में अभी भी कोई बड़ा आधारभूत AI मॉडल क्यों नहीं है? इसका कारण यह है कि हमने अभी तक वैश्विक इंटरनेट कंपनियाँ नहीं बनाई हैं। जैसे Amazon, Google और Alibaba (Amazon, Google, Alibaba) ने पहले उपभोक्ता इंटरनेट से शुरुआत की और बाद में AI में महारत हासिल की, वैसा ही प्रयास भारत में भी किया जाना चाहिए।”

“चीन आज रोबोटिक्स(“China Robotics Today), 3डी मैन्युफैक्चरिंग और बैटरी टेक्नोलॉजी में दुनिया का लीडर बन रहा है। वहीं भारत में स्टार्टअप्स 10 मिनट में सेव या मिक्स वेज डिलीवर करने को सबसे बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं,” गोयल ने मंच से कहा।

उनकी इस टिप्पणी ने स्टार्टअप कम्युनिटी में हलचल मचा दी। Zepto के को-फाउंडर आदित पलीचा ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार को लोकल चैंपियंस को प्रोत्साहित करना चाहिए, नीचा नहीं दिखाना चाहिए।

लेकिन सवाल वाजिब है—भारत के लाखों युवा जहां सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, वहीं कुछ गिने-चुने ही टेक्नोलॉजी इनोवेशन में आगे बढ़ पा रहे हैं। क्या हमारे देश की ऊर्जा सिर्फ “तुरंत डिलीवरी” में ही सिमट जाएगी, या हम आने वाले दशकों के लिए टेक्नोलॉजी लीडर बनेंगे?

गोयल ने अंत में कहा, “हमें स्टार्टअप्स के जरिए समाज की असली ज़रूरतों को हल करना चाहिए। अगर हम सिर्फ 5 मिनट में खाना लाकर खुद को इनोवेटर कहें, तो हम भविष्य से आंखें मूंद रहे हैं।”

अब ये सोचने का समय है – क्या भारत स्टार्टअप्स(what india startups) के नाम पर रफ्तार बेच रहा है, या सच में भविष्य बना रहा है?

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